विदेशी मुद्रा

जुलाई 4

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Forex ट्रेडिंग का इतिहास: Forex मार्केट के विकास का पता लगाना

द्वारा Vlad Kremenchuk
Forex ट्रेडिंग का इतिहास: Forex मार्केट के विकास का पता लगाना

Forex मार्केट क्या हैं?

आइए समझते हैं कि हम फ़ॉरेक्स मार्केट किसे कहते हैं। फ़ॉरेक्स मार्केट विदेशी मुद्रा मार्केट का संक्षिप्त नाम है, अर्थात् एक ऐसा मार्केट जहां मुद्राओं का कारोबार होता है। फॉरेक्स मार्केट दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय मार्केट है। इसका रोजाना कारोबार 5 से 7 ट्रिलियन डॉलर है। इसके साथ, मार्केट में बड़े ट्रेडर्स का वर्चस्व है, जैसे की अंतरराष्ट्रीय बैंक, हेज फंड और ट्रान्सकांटिनेंटल निगम। मार्केट में बहुत सारे व्यक्तिगत ट्रेडर्स भी हैं।

Forex मार्केट में, मुद्राओं को जोड़े में कारोबार किया जाता है। आप EUR/USD जोड़े पर ट्रेड कर सकते हैं और मार्केट रेट पर डॉलर के लिए यूरो का विनिमय कर सकते हैं, या GBP/JPY पर ट्रेड कर सकते हैं और तदनुसार येन के लिए पाउंड का विनिमय कर सकते हैं और इसका उलटा भी कर सकते है। ट्रेडर्स और मार्केट सहभागियों को प्राप्त होने वाला मुनाफा विनिमय दर में परिवर्तन और मार्केट में उतार-चढ़ाव पर आधारित होता है, इसलिए ट्रेडर्स मुद्रा को सबसे कम कीमत पर खरीदने और उच्चतम कीमत पर बेचने की कोशिश करते हैं।

मार्केट में उतार-चढ़ाव कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें केंद्रीय बैंकों द्वारा निर्धारित ब्याज दर, कच्चे माल की बाजारों में कीमतें, राजनीतिक स्थिति आदि शामिल हैं। इसका मतलब है कि मुद्रा की कीमत कई कारकों से बनती है, लेकिन यह हमेशा से ऐसा नहीं था।

आइए जानें कि फ़ॉरेक्स मार्केट कब और कैसे आया, इसके विकास के चरण क्या हैं और यह अब ऐसा क्यों है।

ब्रेटन वुड्स सीस्टम क्या है?

चलिए फ़ॉरेक्स मार्केट के अस्तित्व में आने से पहले के समय पर जाएं और पता करें कि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संबंध कैसे आयोजित किए गए थे। 1944 में, लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संगठन की ब्रेटन वुड्स सिस्टम का उपयोग करना शुरू किया। उन दिनों, आप आज की तरह एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में नहीं बदल सकते थे। लेनदेन के लिए आपके पास जो मुद्रा थी उसे बेचकर डॉलर खरीदना पड़ता था। तो यदि आपको पाउंड खरीदने की इच्छा होती और आपके पास केवल फ़्रैंक होते, तो आपको दो लेनदेन करने पड़ते। पहला फ्रैंक की मदद से डॉलर खरीदना और फिर डॉलर की मदद से पाउंड खरीदना। आजकल ऐसा करना काफी असुविधाजनक है।

उस समय, डॉलर की कीमत तय थी और उसे सोने का समर्थन था। डॉलर का मूल्य एक ट्रॉय आउन्स था, जो कि 30 ग्राम सोने से थोड़ा अधिक है। सभी प्रमुख मुद्राओं ने डॉलर के मुकाबले विनिमय दरों की स्थापना की थी और उनके परिवर्तन अवमूल्यन और पुनर्मूल्यांकन के तंत्र के माध्यम से ही संभव थे।

“उस समय, मुख्य विश्व मुद्रा जो एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा से बदलने के लिए आवश्यक थी, वह अमरीकी डॉलर थी। लेकिन आगे पता चला कि एक मुद्रा पर इतनी बड़ी जिम्मेदारी देने से सिस्टम पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है और जल्द या बाद में इसका पतन होना तय है। इसलिए, विश्व मुद्रा विनिमय के लिए आवश्यक मात्रा प्रदान करने के लिए अधिक डॉलर की आवश्यकता थी। इससे वह स्थिति पैदा हुई जब अमरीकी अधिकारियों को इमीशन का सहारा लेना पड़ा। इसका परिणाम यह हुआ कि उपलब्ध सोने के लिए मुद्रा का सही अनुपात आधिकारिक स्तर पर बनाए रखना असंभव हो गया कागज पर, डॉलर अभी भी एक ट्रॉय आउन्स सोने के बराबर था, लेकिन वास्तव में, स्टेट इसे प्रदान नहीं कर सका।”

ब्रेटन वुड्स सिस्टम का पतन

चूंकि डॉलर को एक निश्चित मात्रा में सोने का समर्थन करना पड़ता था, इसलिए आधिकारिक सेटअप दर पर सोने के लिए डॉलर का अदान-प्रदान करना संभव था। 1965 में नेशनल बैंक ऑफ फ्रांस में लगभग डेढ़ बिलियन डॉलर जमा हो गए थे, और तब राष्ट्रपति चार्ल्स डी गॉले ने संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति से मांग की, की वे आधिकारिक दर पर सोने के लिए इस पैसे का अदान-प्रदान करें। यह पता चला कि यह राशि 16,500 टन सोने के बराबर थी, और यह अमरीका के पास मौजूद कुल सोने का 70 प्रतिशत हिस्सा था। इस प्रकार, चार्ल्स डी गॉले सिस्टम को चुनौती देना चाहते थे जिसमें अमरीकी डॉलर को मुख्य विश्व मुद्रा माना जाता था। इस पूरी घटना के कारण 1968 में संयुक्त राज्य अमरीका को सोने के लिए मुद्रा विनिमय को सीमित करने पर मजबूर होना पड़ा, और इस तरह अब डॉलर के सामने सोने के दो दर थे, एक आधिकारिक दर और दूसरा मार्केट दर।

और इस तरह 1971 में, Forex मार्केट का निर्माण केवल एक व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया था।

हम यह नहीं कह सकते कि वह Forex मार्केट के निर्माता थे, लेकिन निश्चित रूप से इसके गठन पर उनका सबसे अधिक प्रभाव पड़ा। यह आदमी रिचर्ड निक्सन है। यह सब सोने के स्टेंडर्ड को खत्म करने के उनके फैसले से शुरू हुआ।

उसके बाद, डॉलर का कई बार अवमूल्यन हुआ और 1973 में अंतर्राष्ट्रीय जमैका सम्मेलन हुआ, जहां सभी मुद्राएं मार्केट विनियमन में बदल गईं, और तीन साल बाद, सभी देशों ने जमैका समझौते को अपनाया।

जमैका समझौता

यह सीस्टम, जिसका आज तक उपयोग किया जाता है, और पिछली सीस्टम से इसका मुख्य अंतर फ्लोटिंग विनिमय दर है, जो मार्केट की स्थिति से निर्धारित होते हैं।

इस सीस्टम के आगमन के साथ, तीन विनिमय दर व्यवस्थाए बनी: पहली व्यवस्था निश्चित विनिमय दर व्यवस्था है – यह स्टेट द्वारा विदेशी मुद्रा के लिए राष्ट्रीय मुद्रा का आधिकारिक अनुपात स्थापित करना है, जो विनिमय दर में कुछ प्रतिशत के भीतर उतार-चढ़ाव की अनुमति देता है। इस सीस्टम में कई तंत्र शामिल हैं, जैसे कि डॉलरकरण जो देश में विदेशी मुद्रा के उपयोग को भुगतान के साधन के रूप में मानता है। आमतौर पर, इस तंत्र का उपयोग छोटे देशों द्वारा किया जाता है, और निकटतम पड़ोसियों की मुद्रा आमतौर पर उनकी पसंद बन जाती है।

“दूसरे तंत्र में विनिमय दर को किसी अन्य मुद्रा से आंकना है, जो आमतौर पर सबसे महत्वपूर्ण विश्व मुद्राओं में से एक होती है। और तीसरा तंत्र पारंपरिक निश्चित पेग व्यवस्था है, जिसका अर्थ है मुद्राओं के एक समूह के लिए विनिमय दर का बंधन करना, जैसे की मुद्रा का बास्केट।”

दूसरी व्यवस्था डर्टी फ्लोटिंग व्यवस्था है, इसमें समायोजित विनिमय दर व्यवस्था जैसे तंत्र शामिल हैं – इसमें विनिमय दर को आर्थिक संकेतकों के एक समूह से जोड़ा जाता है। दूसरा तंत्र क्रीपिंग निर्धारण है, जिसमें विनिमय दर का कुछ मूल्य होता है जिसे केंद्रीय बैंक मार्केट में हस्तक्षेप के माध्यम से बनाए रखने की कोशिश करता है।

इस व्यवस्था के अन्य तंत्र क्षैतिज बैंड के भीतर आंके गए विनिमय दर हैं – जिसमें देश विनिमय दर में आते उतार-चढ़ाव को कुछ सीमाओं के भीतर रखने की कोशिश करता है।

“फ्लोटिंग दर के साथ एक और मुद्रा व्यवस्था भी है, जो मार्केट रेग्युलेशन पर आधारित है। अधिकांश विकसित देश फ्लोटिंग विनिमय दर का उपयोग करते हैं, और ऐसी नियामक व्यवस्था वाली मुद्राओ पर सबसे अधिक ट्रेड होता हैं।”

वर्तमान Forex ट्रैडिंग

तकनीकी विकास की नई लहर ने जीवन के सभी क्षेत्रों के साथ साथ वित्तीय मार्केट को भी प्रभावित किया है। 1984 में, संयुक्त राज्य अमरीका ने विश्वविद्यालयों के बीच संचार के लिए NSFNET बनाया, और 1992 वर्ष तक, 7,500 से अधिक नेटवर्क इस नेटवर्क से जुड़ गए थे।

वर्तमान Forex ट्रैडिंग

तकनीकी विकास की नई लहर ने जीवन के सभी क्षेत्रों के साथ साथ वित्तीय मार्केट को भी प्रभावित किया है। 1984 में, संयुक्त राज्य अमरीका ने विश्वविद्यालयों के बीच संचार के लिए NSFNET बनाया, और 1992 वर्ष तक, 7,500 से अधिक नेटवर्क इस नेटवर्क से जुड़ गए थे।

अधिकांश लोगों के लिए इंटरनेट उपलब्ध होने के बाद, ऑफ़लाइन ब्रोकरों की जगह ऑनलाइन Forex ब्रोकर्स ने ले ली, जिसने मार्केट के विकास को प्रभावित किया, ट्रेडिंग स्प्रेड को कम किया और लिवरेज बढ़ाया। अब व्यक्तिगत ट्रेडर दिन के 24 घंटे किसी भी मुद्रा के साथ दुनिया के किसी भी कोने से ट्रेड कर सकता हैं।

निष्कर्ष

इस तरह Forex मार्केट ब्रेटन वुड्स की विनियमित सीस्टम से एक मुक्त मार्केट में बदल गया जहां अब हर कोई कमा सकता है।